सड़क नहीं, जोखिम की डगर: कब बदलेगा सेंदुरखार का नसीब?! सड़क जैसी बुनियादी सुविधा के लिए जूझ रहे ग्रामीण

राशन, इलाज और सरकारी कामों के लिए रोज जोखिम भरा सफर, ग्रामीण बोले – “ये सड़क नहीं, सम्मान की मांग है”
कवर्धा। आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले की सेंदुरखार पंचायत सड़क जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित है। पंडरिया विधानसभा का पहला मतदान केंद्र होने के बावजूद सेंदुरखार तक सीधी पक्की सड़क आज तक नहीं बन पाई। पंचायत मुख्यालय एक ऊँची पहाड़ी पर और मध्यप्रदेश सीमा के पास स्थित है, जहाँ पहुँचने के लिए ग्रामीणों को पथरीली, खतरनाक घाटी से होकर गुजरना पड़ता है।

5 किमी का रास्ता, लेकिन मौत का खतरा
पंचायत के आश्रित ग्राम – बांगर, राहीडांड़, ऐरूनटोला और सांईटोला – पहाड़ी के नीचे बसे हैं। इन गांवों से सेंदुरखार की दूरी महज 5 किमी है, लेकिन यह रास्ता बेहद खतरनाक और उबड़-खाबड़ है। ग्रामीणों के मुताबिक, यदि वे पक्की सड़क से पंचायत जाना चाहें तो 45 किमी का लंबा चक्कर लगाना पड़ता है, जिससे समय, पैसा और श्रम तीनों की बर्बादी होती है।
जीवन को जोखिम में डालते ग्रामीण

ग्रामीणों ने बताया कि राशन, स्वास्थ्य सुविधा, दस्तावेज बनवाने या अन्य सरकारी कामों के लिए उन्हें रोज इस दुर्गम चढ़ाई से गुजरना पड़ता है। बरसात में यह रास्ता और भी जानलेवा बन जाता है। इसके बावजूद सरकार और प्रशासन की चुप्पी ग्रामीणों को निराश कर रही है।
पहले भी उठी है मांग, पर कार्रवाई शून्य
सरपंच श्रीमती ननकुशिया मराठा, स्थानीय पंच रामदयाल श्याम और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि इस मुद्दे को कई बार विधायक और जनपद स्तर पर उठाया गया है, लेकिन अब तक सड़क निर्माण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
ग्रामीणों की अपील:
“जब तक सड़क नहीं बनती, राशन वितरण का केंद्र नीचे आश्रित ग्रामों में किया जाए। बुज़ुर्गों, महिलाओं और बीमारों को राहत मिलेगी।”
जनहित की मांग:
सेंदुरखार पंचायत की सड़क समस्या केवल एक विकास कार्य नहीं, बल्कि जन सुरक्षा, सुविधा और सम्मान से जुड़ा सवाल है।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन, जनपद पंचायत पंडरिया और स्थानीय विधायक से तुरंत इस समस्या का समाधान करने की मांग की है।